*भोपाल:-* लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण के तहत उत्तर प्रदेश में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी. पहले चरण के लिए राज्य की पीलीभीत समेत आठ सीटों पर नामांकन बुधवार से शुरू हो गया. नामांकन शुरू होने के बाद देर शाम को वरुण गांधी के लिए बीजेपी से बाहर समाजवादी पार्टी या इंडिया गठबंधन में रास्ते बंद हो गए. लेकिन इसके पीछे दो खास वजह बताई जा रही है. दरअसल, सपा ने बुधवार को पीलीभीत सीट से भगवत सरन गंगवार को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. जिसके बाद वरुण गांधी के पीलीभीत से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की अटकलों पर विराम लग गया है. हालांकि राजनीति के जानकार बताते हैं कि बीजेपी से बाहर वरुण गांधी के लिए हर रास्ते पहले के ही बंद हैं. इसकी वजह है, उनकी मां और बीजेपी सांसद मेनका गांधी का राजनीतिक सफर. कांग्रेस के बाहर रहा विकल्पसंजय गांधी के निधन के बाद मेनका गांधी का पूरी राजनीतिक सफर हमेशा कांग्रेस के खिलाफ रहा है, खास तौर पर कहा जाए तो गांधी परिवार से अलग ही वह अपने लिए रास्ते बनाते रही हैं. यही वजह है कि बीजेपी उनके लिए सीधा और आसान विकल्प है. वरुण गांधी के सपा के साथ न जाने के पीछे भी यही बड़ा कारण रहा है क्योंकि सपा अभी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. इसी को आधार बताते हुए राजनीति के विषेशज्ञ कहते हैं कि वरुण गांधी के सपा में जाने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा कांग्रेस की है. सपा इस वक्त यूपी में कांग्रेस और गांधी परिवार के खिलाफ जाकर वरुण गांधी के लिए रास्ते बनाने के मुड में नजर नहीं आ रही है. इसकी वजह से राम गोपाल यादव और अखिलेश यादव ने उनके आने की बात संगठन पर टालकर छोड़ दी.मां ने हर बार बेटे के लिए छोड़ी सीटवरुण गांधी के लिए सपा में आने में एक और बाधा उनकी मां का सियासी सफर है. परिवार से अलग होने पर हमेशा से मेनका गांधी का सियासी सफर बीजेपी के साथ ही रहा है. जबकि वरुण गांधी का सियासी सफर हमेशा उनकी मां के साए में चलता रहा है. 2009 में जब वह पहली बार चुनाव लड़े तब उन्होंने मां मेनका गांधी की सीट पीलीभीत से चुनाव लड़ा. इसके बाद फिर 2014 में उन्होंने सुल्तानपुर में चुनाव लड़ा, जहां 2009 में मेनका गांधी लोकसभा का चुनाव जीती थीं. इसके बाद फिर पीलीभीत से 2019 में वरुण गांधी फिर चुनाव लड़े, जहां 2014 में मेनका गांधी ने लोकसभा चुनाव लड़ा और फिर जीत दर्ज की थी. यानी देखा जाए तो हर बार मेनका गांधी ने अपनी सीट बेटे वरुण गांधी के लिए छोड़ी है।