वैसे तो जुआ खेलना कानून की दृष्टि में अपराध है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे दिवाली के दिन खेलना शुभ माना गया है. दीपावली की रात जुआ खेलने की परंपरा है। मान्यता है दिवाली के दिन जुआ खेलना शुभ होता है। आइये हम आपको बताते हैं कि दिवाली पर जुआ खेलने की परंपरा कब से शुरू हुई और दिवाली पर किस तरह का जुआ खेलना शुभ होता है। तो चलिए जानते हैं…
दिवाली की रात जुआ खेलने को लेकर कुछ किवदंतियां जुड़ी हैं। पौराणिक कथा के अनुसार दिवाली की रात भगवान शिव के साथ उनकी पत्नी देवी पार्वती जुआ खेलती थीं जिससे उन दोनों के बीच प्रेम बढ़ गया था। यही कारण है कि इस दिन जुआ खेलना शुभ माना जाता है। लेकिन जुआ खेलना तभी शुभ है जब उसे बिना पैसा लगे खेला जाता है। पैसे लगाकर दिवाली की रात जुआ खेलना बेहद अशुभ माना जाता है। इसका जिक्र हमें महाभारत में मिलता है। जुआ खेलने के कारण ही पांडव अपना राज, पाट, धन, दौलत ही नहीं अपनी पत्नी तक हार बैठे थे और नतीजा महाभारत के रूप में सामने आया। यानी दिवाली की रात पैसे लगाकर जुआ खेलना बहेद अशुभ माना जाता है।
दिवाली की रात ऐसा जुआ खेलना होता है अशुभ
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के बाद परिवार के सदस्य घर में शगुन के लिए जुआ खेलते हैं। लेकिन वर्तमान समय में लोग पैसा लगाकर जुआ या सट्टा मटका खेलते हैं यह सही नहीं है। आजकल दिवाली की रात लॉटरी खेलने का चलन बढ़ रहा है, लेकिन ऐसा करने से देवी लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और व्यक्ति को जीवन भर धन की कमी का सामना करना पड़ता है।
ऋग्वेद में भी मिलता है इसका उल्लेख
ऋग्वेद भारत के प्राचीनतम ग्रंथों में से एक है। ऋग्वेद के 10वें मंडल के कुछ सूक्त में एक जुआरी की कथा का उल्लेख मिलता है। इस कथा के अनुसार जुए की लत के चलते वह गरीब हो गया, उसे कोई उधार नहीं देता और उसकी सुंदर पत्नी भी छोड़कर चली गई है।
स्कंद पुराण में शिव-पार्वती की कथा का उल्लेख
स्कन्द पुराण में भी उल्लेख मिलता है कि एक बार भगवान शिव अपनी पत्नी देवी पार्वती के साथ दिवाली की रात को जुआ खेल रहे थे। माता पार्वती ने भगवान शिव को परास्त कर दिया। और इसी उत्साह में उन्होंने यह वरदान दिया कि जो भी दिवाली की रात जुआ खेलेगा उस पर साल भर माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।