लीथियम, एक हल्का और चांदी जैसा दिखने वाला धातु है, जिसे पिछले कुछ सालों में ‘सफेद सोना’ के रूप में जाना जाने लगा है. यह उपनाम इसे यूं ही नहीं दिया गया है, बल्कि इसके कई जरुरी गुणों और बढ़ती मांग के कारण है. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों लीथियम को सफेद सोना कहा जाता है.
लीथियम सभी धातुओं में सबसे हल्का है। इसका घनत्व पानी से थोड़ा अधिक होता है। इसी कारण इसे बैटरी में इस्तेमाल करके बैटरी का वजन कम किया जा सकता है. इसके अलावा लीथियम में ऊर्जा घनत्व बहुत अधिक होता है। इसका मतलब है कि यह कम मात्रा में भी काफी ऊर्जा स्टोर कर सकता है. साथ ही लीथियम अन्य धातुओं की तुलना में कम प्रतिक्रियाशील होता है, जिससे इसे संभालना आसान होता है.
यहां बढ़ रही है लीथियम की मांगबता दें इलेक्ट्रिक वाहनों में लीथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग के साथ ही लीथियम की मांग भी बढ़ रही है. साथ ही स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट आदि सभी में लीथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है. इन उपकरणों की बिक्री में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे लीथियम की मांग बढ़ रही है. सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को स्टोर करने के लिए लीथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है.
नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही लीथियम की मांग भी बढ़ रही है.क्यों कहा जाता है सफेद सोना?लीथियम को सफेद सोना इसलिए कहा जाता है क्योंकि लीथियम की बढ़ती मांग के कारण इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है। यह सोने जितना कीमती तो नहीं है, लेकिन इसकी तुलना सोने से की जाती है. सात ही लीथियम एक दुर्लभ धातु है और इसकी उपलब्धता सीमित है. इसके अलावा लीथियम का उपयोग केवल बैटरी में ही नहीं, बल्कि कई अन्य उद्योगों में भी किया जाता है. जैसे कि ग्लास, सिरेमिक और चिकित्सा.
क्या होती है लीथियम की कीमत?ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत लगभग 57.36 लाख रुपये है. वहीं विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत तक बढ़ेगी.