दिल्ली। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व होता है। पिंडदान और श्राद्ध को कर्म माना गया है जो कि प्राचीन काल से किया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस धरती पर नहीं हैं, उनके लिए और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है तथा उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से शुरू होता है और यह अमावस्या को खत्म होता है। जी हाँ और इस प्रकार पितृ पक्ष करीब 15-16 दिनों का होता है। इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 को शुरू होकर 25 सितंबर 2022 को समाप्त होगा। वहीं इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनकी मृत्यु तिथि पर तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं।
महत्व
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यह करना बेहद जरूरी एवं अनिवार्य भी होता है। इस वजह से हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है। इस दौरान लोग 15 दिनों तक अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। वहीं धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में विधि-विधान से पितरों का तर्पण न किया जाये तो उनकी आत्मा इधर उधर भटकती है अर्थात उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।