नई दिल्ली:– दुनियाभर में कई बड़े व्रत और त्योहार का महत्व होता है। इसमें ही ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार क्रिसमस आने वाला है। यह दुनियाभर में 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस से मौके पर केक, गिफ्ट और सजावट पर अच्छा ध्यान दिया जाता है वहीं पर क्रिसमस पर खास परंपराएं भी निभाई जाती है। क्रिसमस के मौके पर पेड़ को सजाने की परंपरा होती है इसके बिना शायद ही त्योहार अधूरा होता है। क्रिसमस पर आखिर इस परंपरा को क्यों निभाया जाता है चलिए जानते है इसके पीछे का अर्थ।
जानें कब से हुई क्रिसमस ट्री सजाने की शुरुआत
यहां पर क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा की शुरुआत जर्मनी में 16वीं शताब्दी के दौरान हुई थी जहां पर कुछ ईसाई परिवार ने देवदार वृक्ष को महत्व देते हुए पेड़ों को सजाना शुरु किया है। यहां पर इस वृक्ष को जीवन और पुनर्जन्म का प्रतीक माना जाता था। वहीं पर प्राचीन पगन धर्म (Pagan Religion) से प्रेरित है, जहां सर्दियों के मौसम में हरियाली को आशा और नए जीवन का प्रतीक माना जाता था।
वहीं पर इस पेड़ को भगवान यीशु मसीह के जन्म से जोड़ा जाता है। पेड़ को सजाने के पीछे इस तथ्य को भी माना गया कि, यह जीवन और अमरता का प्रतीक है पेड़ पर लगाया जाने वाला सितारा बेतलेहम के तारे को दर्शाता है, जिसने तीन बुद्धिमान लोगों (मागी) को यीशु तक पहुंचने का रास्ता दिखाया था।
परंपरा से जुड़ी खास बातें
यहां पर यह भी माना जाता है कि, पेड़ दुनिया और ईश्वर की कृपा का प्रतीक हैं रोमनों और जर्मन पगन परंपराओं में सर्दियों के दौरान देवदार और अन्य हरियाली से जुड़ी चीजों को घर में लाने का चलन था. इसे बुरी आत्माओं को दूर रखने और भाग्य को आमंत्रित करने का प्रतीक माना जाता था। इस पेड़ सजाने की परंपरा को 19वीं सदी से शुरु किया गया था।
बाइबल में क्या मिलता है उल्लेख
यहां पर ईसाई के प्रमुख ग्रंथ बाइबल में वैसे तो क्रिसमस ट्री का कोई खास महत्व नहीं मिलता है लेकिन ईसाई इसे बाइबल की शिक्षाओं से जोड़ते हैं. यिर्मयाह 10:2-4 में लकड़ी के पेड़ों को काटकर सजाने का उल्लेख मिलता है, लेकिन यह संदर्भ मूर्तिपूजा से जुड़ा है, न कि क्रिसमस से. वहीं, बाइबल में क्रिसमस ट्री का जिक्र न होने के बावजूद, इसे यीशु मसीह के प्रतीकात्मक अर्थ से जोड़ा गया है। दरअसल क्रिसमस ट्री सजाने का मुख्य उद्देश्य परिवार और दोस्तों के साथ सामूहिक खुशी और एकता का अनुभव करना, घरों में रोशनी और सौंदर्य लाना और बच्चों को प्यार और सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में सिखाना है।