महिलाओं को डेली रूटीन में बद्धकोणासन करना चाहिए. इस योगासन को करने से महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की समस्या से छुटकारा मिलता है. इसके साथ ही पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में भी आराम मिलता है. ये योगासन प्रजनन अंगों की मांसपेशियों को मजबूती देने में भी मदद करता है. (Getty Image)महिलाओं को डेली रूटीन में बद्धकोणासन करना चाहिए. इस योगासन को करने से महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की समस्या से छुटकारा मिलता है. इसके साथ ही पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में भी आराम मिलता है. ये योगासन प्रजनन अंगों की मांसपेशियों को मजबूती देने में भी मदद करता है.
)1 / 5लाइफ साइकिल के दौरान महिलाएं कई बार हार्मोनल बदलावों से गुजरती हैं, इसलिए उनमें हार्मोन इंबैलेंस होने की संभावना भी काफी ज्यादा रहती है. रोजाना अगर मलासन का अभ्यास किया जाए तो हार्मोन असंतुलन में सुधार होता है. इसके अलावा इस आसन को करने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है, जिससे वेट कंट्रोल में रहता है, वहीं टखने और घुटने भी मजबूत होते हैं और पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है. (Getty Image)लाइफ साइकिल के दौरान महिलाएं कई बार हार्मोनल बदलावों से गुजरती हैं, इसलिए उनमें हार्मोन इंबैलेंस होने की संभावना भी काफी ज्यादा रहती है. रोजाना अगर मलासन का अभ्यास किया जाए तो हार्मोन असंतुलन में सुधार होता है. इसके अलावा इस आसन को करने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है, जिससे वेट कंट्रोल में रहता है, वहीं टखने और घुटने भी मजबूत होते हैं और पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है.
2 / 5पवनमुक्तासन करने से महिलाओं के प्रजनन अंगों (गर्भाशय) को फायदा मिलता है. इसके अलावा ये आसान पेट की चर्बी कम करने, गैस की समस्या से आराम दिलाने में भी सहायक है. पवनमुक्तासन का रोज अभ्यास करने से कमर और रीढ़ की हड्डी और हाथ-पैरों की मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग भी होती है. (Getty Image)पवनमुक्तासन करने से महिलाओं के प्रजनन अंगों (गर्भाशय) को फायदा मिलता है. इसके अलावा ये आसान पेट की चर्बी कम करने, गैस की समस्या से आराम दिलाने में भी सहायक है. पवनमुक्तासन का रोज अभ्यास करने से कमर और रीढ़ की हड्डी और हाथ-पैरों की मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग भी होती है.
)3 / 5हलासन का अभ्यास नियमित रूप से करने से पीरियड्स के दौरान पेल्विक एरिया में होने वाली ऐंठन कम होती है साथ ही ये योगासन स्किन को यंग बनाए रखने में भी हेल्प फुल है. हलासन पोज से रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है साथ ही थकान, स्ट्रेस, पिंडलियों में होने वाली ऐंठन, कब्ज गैस, पेट की चर्बी कम करने आदि में भी ये सहायक है. हलासन का अभ्यास नियमित रूप से करने से पीरियड्स के दौरान पेल्विक एरिया में होने वाली ऐंठन कम होती है साथ ही ये योगासन स्किन को यंग बनाए रखने में भी हेल्प फुल है. हलासन पोज से रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है साथ ही थकान, स्ट्रेस, पिंडलियों में होने वाली ऐंठन, कब्ज गैस, पेट की चर्बी कम करने आदि में भी ये सहायक है.
)4 / 5महिलाओं के लिए हनुमानासन भी काफी फायदेमंद रहता है. इससे कमर और पेट की चर्बी कम होती है. इस योगासन से मसल्स भी टोन होती हैं और बॉडी शेप में रहती है. ये योगासन पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं में भी राहत दिलाता है. इसके अलावा साइटिका के दर्द में आराम, हाथ-पैरों की मांसपेशियों में मजबूती आना, जांघ, घुटने आदि की मसल्स की स्ट्रेचिंग होना जैसे फायदे भी होते हैं.
महिलाओं के लिए हनुमानासन भी काफी फायदेमंद रहता है. इससे कमर और पेट की चर्बी कम होती है. इस योगासन से मसल्स भी टोन होती हैं और बॉडी शेप में रहती है. ये योगासन पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं में भी राहत दिलाता है. इसके अलावा साइटिका के दर्द में आराम, हाथ-पैरों की मांसपेशियों में मजबूती आना, जांघ, घुटने आदि की मसल्स की स्ट्रेचिंग होना जैसे फायदे भी होते हैं. )