नई दिल्ली:- कहा जाता है कि बचपन का जीवन सिर्फ खेलने-कूदने का होता है और इस दौरान बच्चे जितनी भी शरारत करें उनकी सारी माफ हो जाती हैं। लेकिन बच्चों के खेल-कूद का यह जीवन बहुत ज्यादा लंबे समय तक नहीं चलता है, सिर्फ तब तक ही चलता है जब तक उसका स्कूल जाना शुरू नहीं हो जाता है। चाहे प्ले स्कूल ही क्यों न हो फिर भी बच्चे स्कूल जाने से कतराते ही हैं और जब स्टडी शुरू हो जाती है, तो स्कूल जाते समय उनकी नौटंकी को काबू कर पाना मुश्किल हो जाता है। लेकिन यह भी हो सकता है कि उनके स्कूल जाने से कतराने के पीछे कोई बड़ी वजह बन गई हो। बहुत ही कम लोग जानते हैं कि भारत में एक बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल फोबिया का शिकार हो जाते हैं और इस दौरान उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ लक्षणों आप भी पता लगा सकते हैं स्कूल फोबिया से क्या लक्षण हो सकते हैं.
1. सुबह के समय तनावग्रस्त रहना
स्कूल फोबिया का मतलब होता है स्कूल से भय बैठ जाना। यही कारण है कि सुबह के समय बच्चे तनावग्रस्त हो जाते हैं। सुबह के समय स्कूल जाने के डर से उनके मन में भय बन जाता है और स्कूल जाने के बारे में सोच-सोचकर तनाव बढ़ जाता है। बच्चे के इन लक्षणों को इग्नोर नहीं करना चाहिए।
2. स्कूल से नेगेटिव फीडबैक
स्कूल फोबिया के कारण बच्चे वहां पर ठीक से पढ़ नहीं पाते हैं और न ही अपने साथी विद्यार्थियों के साथ ठीक से संबंध बना पाते हैं। अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के कारण स्कूल से नेगेटिव फीडबैक आने लगता है। साथ ही विद्यार्थियों से अच्छे संबंध न बन पाने के कारण भी स्कूल से नेगेटिव फीडबैक भी आने लगता है।
3. जानबूझकर लेट करना
कई बार बच्चे सुबह स्कूल के लिए तैयार होने में जानबूझकर लेट कर देते हैं। पेरेंट्स इसे आमतौर पर स्कूल जाने से बचने की नौटंकी समझकर इग्नोर कर देते हैं। हालांकि, यदि बच्चा रोजाना ही स्कूल जाने से जानबूझकर लेट करने की कोशिश कर रहा है, तो यह भी हो सकता है कि उसे स्कूल में कुछ परेशानी हो रही हो और यह स्कूल फोबिया भी हो सकता है।
4. छुट्टी वाले दिन खुश रहना
अगर बच्चा रोजाना सुबह के समय चिंताग्रस्त या तनावग्रस्त दिखता है और स्कूल की छुट्टी वाले दिन खुश दिखता है, तो यह जाहिर होता है कि उसे स्कूल में किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसी न किसी कारण से उसके मन में स्कूल के प्रति भय हो गया है, जिससे छुट्टी वाले दिन खुश रहना जरूरी है।